वर्तमान युग में ज्ञान इतना अधिक विकसित हो गया है तथा सांस्कृतिक सम्पति भी इतनी विशाल हो गई है कि इनकी शिक्षा देना परिवार तथा अन्य अनौपचारिक साधनों के सामर्थ्य से परे की बात है। अब संस्कृति की सुरक्षा, विकास तथा इसके प्रचार करने के लिए स्कूल से अच्छा और कोई साधन नहीं है। इस दृष्टी से बालक की शिक्षा के लिए स्कूल एक महत्वपूर्ण साधन है। हमारा हरिश्चन्द्र विद्यालय इस दृष्टि से सर्वोत्तम है.
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