परिवार बालक में प्रेम, दया, सहानभूति, सहनशीलता, सहयोग, सेवा तथा अनुशासन एवं नि:स्वार्थता आदि गुणों को विकसित करता है। परन्तु परिवार की चारदीवारी के चक्कर में पड़कर बालक के ये सारे गुण उसके निजी सम्बन्धियों तक ही सीमित रह जाते हैं। इससे उसका दृष्टिकोण संकुचित हो जाता है। स्कूल बालक के पारिवारिक जीवन को बाह्य जीवन से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसका कारण यह है कि स्कूल में रहते हुए बालक अन्य बालकों के साथ सम्पर्क स्थापित करता है। इससे उसका दृष्टिकोण विशाल हो जाता है जिससे उसके बाह्य समाज से सम्पर्क स्थापित होने में कोई कठिनाई नहीं होती। हमारा हरिश्चन्द्र इण्टर कॉलेज इस दृष्टि से उत्तम है.
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